बड़े-बड़े शायरों को तो बहुत बार पढ़ा होगा इधर... आज कुछ उनको सुनो, जो करीबी दोस्त रहे कभी। उनकी कलम, उनके इमोशंस, उनकी बातें ज़्यादा अपनी लगती हैं।
God send thee
consolation,
when you tear
yourself apart
and find him
missing...
ये आनंद सर ने कभी लिखा था। क्यों लिखा था पता नहीं। हमको क्यों याद है ये - ये पता है। लेकिन तुमको तो पता है कि हम बताएँगे नहीं।
वो लड़की लौट कर आए अगर तो बोलना उसको
वो लड़का आख़िरी दम तक तुम्हीं को याद करता था
तुम्हारे नाम उसने सर्दियों में ख़त भी लिक्खे थे
जिन्हें वो ख़ुद ही पढ़ता और इक बच्चे सा रोता था
वो लड़की लौट कर आए अगर तो ये भी कह देना
वो लड़का बेवफ़ा था आदतन ये सब वो करता था
ये पीयूष मिश्रा ने लिखा था - माने कम फ़ेमस और ज़्यादा अच्छे वाले पीयूष ने। पीयूष की लिखी कई बातें डायरी में छुपा रखी हैं हमने (और कई दिमाग़ में)।
और "एक ख्वाब सी लड़की" थी, जो दोस्त बनने से पहले ही चली गयी। उसने कभी ये कहा था :
हमें बिंदी नहीं चूड़ी नहीं, कुछ भी नहीं जँचता
हमारा हुस्न है सारा हमारी आँख का काजल
कई आँखों ने देखे थे हमारे लम्स के सपने
फ़क़त उसने ही देखा था हमारी आँख का काजल
ये अंतिम शेर क्यों पसंद आये ? क्योंकि उस आँख का काजल.....
ख़ैर, आखिरी नज़्म हमारी सुनो -
तुम्हारे इश्क़ में
पागल था
जब,
तो ज़िन्दा था।
आदमी ठीक हुआ
जब
तो मर गया आखिर।
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