वो अंदर से बिल्कुल खाली था - प्रेम, विद्रोह, ज्ञान, कवित्त, सामर्थ्य और लाचारी से लबालब भरा हुआ _ _ _ और तब भी बिल्कुल खाली.
उसके अन्दर एक वीराना था - जहाँ वो अक्सर सारे आस-पास से दूर जा के बैठ जाता और अपने खालीपन को भरी-भरी आँखों से देखता रहता।
एक आदमी जो हार गया।
उसके अन्दर एक वीराना था - जहाँ वो अक्सर सारे आस-पास से दूर जा के बैठ जाता और अपने खालीपन को भरी-भरी आँखों से देखता रहता।
एक आदमी जो हार गया।
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