Tuesday, April 5, 2011

Poetic geniuses - 1

पंडित मदनमोहन मालवीय और सर सैयद अहमद खाँ जिन दिनों हिन्दू यूनिवर्सिटी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिये प्रयास कर रहे थे, उन्हीं दिनों अकबर इलाहाबादी साहब ने एक शेर कहा था :

शैख ने गो लाख दाढ़ी बढ़ाई सन की सी
मगर वह बात कहाँ मालवी मदन की सी

यहाँ 'सन की' शब्दों पर गौर कीजिये। दोनों शब्दों को मिला देने पर जो अर्थ निकलता है, वह शायर के हुनर की मिसाल है। अकबर साहब पं0 मदनमोहन मालवीय के मित्र थे जबकि उन्हें सर सैयद अहमद खाँ की अंग्रेज परस्ती फूटी ऑंखों नहीं भाती थी। (Copied from Wikipedia)

By the way, this is how Akbar Allahabadi himself looked like.

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