शैख ने गो लाख दाढ़ी बढ़ाई सन की सी
मगर वह बात कहाँ मालवी मदन की सी
मगर वह बात कहाँ मालवी मदन की सी
यहाँ 'सन की' शब्दों पर गौर कीजिये। दोनों शब्दों को मिला देने पर जो अर्थ निकलता है, वह शायर के हुनर की मिसाल है। अकबर साहब पं0 मदनमोहन मालवीय के मित्र थे जबकि उन्हें सर सैयद अहमद खाँ की अंग्रेज परस्ती फूटी ऑंखों नहीं भाती थी। (Copied from Wikipedia)
By the way, this is how Akbar Allahabadi himself looked like.
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