एक बार अमीर खुसरो को सफ़र के दौरान प्यास लगी। वे एक कुएँ पर पहुँचे जहाँ चार औरतें पानी भर रही थीं और उनसे पानी माँगा। उन औरतों ने खुसरो से पहले कविता सुनाने की फ़र्माइश की। खुसरो ने उनके मन का विषय पूछा। पहली ने खीर पर, दूसरी ने चरखे पर, तीसरी ने कुत्ते पर और चौथी ने ढोल पर कविता सुनाने को कहा। खुसरो ने सुनाया -
खीर पकाई जतन से
चरखा दिया चला
आया कुत्ता खा गया
तू बैठी ढोल बजा
आगे चलकर इतिहास में अमीर खुसरो काफ़ी प्रसिद्ध हुए और उर्दू कविता के पहले कवि के रूप में जाने गये।
*******
एक बार सिद्धार्थ रस्तोगी (जिनका घरेलू नाम मनु था) से उनके सबसे प्रिय मित्र ने किसी नये विषय पर कविता सुनाने को कहा। रस्तोगी ने विषय पूछा। तीन बार पूछने पर बारी-बारी से विषय मिले - लौकी, बोतल, और पिंक पजामा। रस्तोगी ने सुनाया-
बोतल, लौकी, पिंक पजामा
लेकर निकले मन्नू मामा
मामाजी से पूछो हाल
हरदम बोलें बहुत मजा मा
आगे चलकर सिद्धार्थ रस्तोगी ने अर्थशास्त्र में शोध किया, कई ब्लाग लिखे और कविताई के नाम पर भी काफ़ी कोशिशें कीं। उनके किसी भी काम से किसी को कोई फ़रक नहीं पड़ा।
खीर पकाई जतन से
चरखा दिया चला
आया कुत्ता खा गया
तू बैठी ढोल बजा
आगे चलकर इतिहास में अमीर खुसरो काफ़ी प्रसिद्ध हुए और उर्दू कविता के पहले कवि के रूप में जाने गये।
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एक बार सिद्धार्थ रस्तोगी (जिनका घरेलू नाम मनु था) से उनके सबसे प्रिय मित्र ने किसी नये विषय पर कविता सुनाने को कहा। रस्तोगी ने विषय पूछा। तीन बार पूछने पर बारी-बारी से विषय मिले - लौकी, बोतल, और पिंक पजामा। रस्तोगी ने सुनाया-
बोतल, लौकी, पिंक पजामा
लेकर निकले मन्नू मामा
मामाजी से पूछो हाल
हरदम बोलें बहुत मजा मा
आगे चलकर सिद्धार्थ रस्तोगी ने अर्थशास्त्र में शोध किया, कई ब्लाग लिखे और कविताई के नाम पर भी काफ़ी कोशिशें कीं। उनके किसी भी काम से किसी को कोई फ़रक नहीं पड़ा।
7 comments:
फर्क तो पड़ता है भाई
wah wah .. lauki aur pink pyjama ..good one !! :)
hahahaha...ROTFL..
BTW i agree with the first comment.. :P
lol......waise nice attempt......hahaha....:D
Vipul n Deep - :D
Manisha n Cynosure - Thanks!
And to rest - :|
:D
bahut simple aur bahut achha!
अच्छा ही हुआ जो सिद्धार्थ रस्तोगी के जीवन से किसी को कोई मतलब नहीं रहा। लेकिन तुकबंदी तो बढि़या भिड़ा गया पट्ठा, और मजे की बात तो यह कि पाजामे का नाड़ा पर कोई चर्चा तक नहीं- भई वाह
।
तो अर्ज किया है एक शेर:-
सुना है सनम के कमर ही नहीं है,
खुदा जाने नाड़ा कहां बांधते हैं।
कुमार सौवीर, यूपी न्यूज, लखनऊ
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