Thursday, May 28, 2015

कोई है ख़ुदा तो जवाब दे

कभी कभी सोचते हैं हम कि ये सब किसलिए है? किसके लिए? जीवन के बारे में भी, लेकिन फिलहाल केवल इन ब्लॉग्स के बारे में.
ऐसे अंतहीन, लक्ष्यहीन ब्लॉग लिखते जाने का क्या मतलब? इसको कोई पढ़ता भी है या केवल बॉट्स टहल कर निकल जाते हैं! वैसे ही जैसे कोई रोज़ाना नमाज़ अता करे बिना ये जाने कि कहीं पहुंची भी दुआ या केवल हवा में घुल कर रह गयी…

कोई है ख़ुदा तो जवाब दे
मेरे सजदों का वो हिसाब दे 

नहीं है कहीं वो तो ना सही
वो न हो के लब्बो-लुआब दे 

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