पुराने घर की छत पर लेटा हुआ मैं। अपने घर के अकेले तख़त पर अकेला लेटा हुआ मैं। Emma के दौर का मैं। वहाँ से कैसे 20 साल गुजर गए, पता ही नहीं चला। कितने शहर गुज़र गए, समझ ही नहीं आया। और हज़ारों शहरों से परे, लाखों लम्हों के बाद, यहाँ फिर से एक कमरे में अकेला लेटा हुआ मैं - Emma से लेकर तुम तक भटकता हुआ मैं। Bhupinder is still singing - निग़ाह दूर तलक जा के लौट आएगी...